Sunday, September 26, 2010

कठिनाइयो से रीता जीवन

मेरे लिए नहीं,
नहीं, मेरे तूफानी मन को यह स्वीकार नहीं.
मुझे तो चाहिए एक महान लक्ष्य
और, उसके लिए उम्रभर संघर्षो का अटूट क्रम
ओ कला ! तू खोल
मानवता की धरोहर, अपने अमूल्य कोषों के द्वार
मेरे लिए खोल
अपनी प्रज्ञा और संवेगों के आलिंगन में
अखिल विश्व को बाँध लूंगा में .
आओ,
हम बीहड़ और कठिन सुदूर यात्रा पर चलें
आओ, क्योकि छिछला निरुद्देश्य और लक्ष्यहीन जीवन
हमें स्वीकार नहीं .
हम उंघते, कलम घिसते हुए,
उत्पीडन और लाचारी में नहीं जियेंगे
हम - आकांशा, आक्रोश, आवेग और अभिमान में जियेंगे
असली इंसान की तरह जियेंगे.
- कार्ल मार्क्स

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