आज नहीं,अपने वर्षों बाद शायद पा सकूँ वह विशेष संवेदना जिसमें उचित हूँ ।मुझे सोचता हुआ कोई इंसान ,मुझे प्यार करती हुई कोई स्त्री ,जब मुझे समझेंगे-ताना नहीं देँगे;जब मैं उन्हें नहीं-वे मुझे पाएँगे,तब मुझे जीवन मिलेगा....तब तक अपरिचित हूँ ।- कुँवर नारायण ।