Thursday, April 29, 2010

दुनिया के मजदूरों एक हो जाओ

यूँही ही हमेशा जुल्म से उलझती रही है खल्क( जनता)

न उनकी रस्म नयी है न अपनी रीत नयी
यूँही हमेशा खिलाये है हमने आग में फूल
न उनकी हार नयी है न अपनी जीत नयी
फैज़ अहमद फैज़

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