यूँही ही हमेशा जुल्म से उलझती रही है खल्क( जनता) न उनकी रस्म नयी है न अपनी रीत नयी यूँही हमेशा खिलाये है हमने आग में फूलन उनकी हार नयी है न अपनी जीत नयी फैज़ अहमद फैज़...
ये ब्लोग सिर्फ मेरे अपने लिये है तकि मे व्यक्त कर सकू सारे विचार और अपनी भावनाये....... उम्मीद करता हू कि जैसा पहले लिखा था वैसे ही अभी भी लिख पाउंगा और कुछ बेहतर कर पाउंगा आमीन!!!!!!!!!!!!!...